दानिश रज़ा खान बुरहानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी फ्लैगशिप योजना एक जिला एक उत्पाद (ODOP) अब बुरहानपुर जिले में जमीन पर सकारात्मक परिणाम देने लगी है। इस योजना के अंतर्गत जिले को 'केला' और 'हल्दी' उत्पादों के लिए चिन्हित किया गया है। खासकर बुरहानपुर की हल्दी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाना शुरू कर दिया है। हाल ही में मास्को में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में बुरहानपुर की हल्दी को सराहा गया और टेस्टिंग में पास होने के बाद इसकी मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
इस पहल का सीधा लाभ अब जिले के किसानों और युवाओं को मिल रहा है। जहां किसान हल्दी की खेती में रुचि लेकर स्थानीय बाजार और अच्छे दामों से लाभ कमा रहे हैं, वहीं कई शिक्षित बेरोजगार युवा अब इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनकर अपने सपनों को साकार कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं संदीप रावल, जिन्होंने नौकरी न मिलने के बाद पैतृक खेती के साथ हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने का सपना देखा और उसे साकार किया।
संदीप ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के तहत 25 लाख रुपये का लोन लिया, जिसमें लगभग 9 लाख रुपये का अनुदान सरकार से प्राप्त हुआ। आज उनकी यूनिट में दर्जन भर लोग रोजगार पा रहे हैं और संदीप की पत्नी, जो स्वयं उच्च शिक्षित हैं, इस यूनिट के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। यह परिवार अब न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है, बल्कि दूसरे बेरोजगारों के लिए भी एक मिसाल बन गया है।
बुरहानपुर उद्यानिकी विभाग के अनुसार, जिले में वर्तमान में 1680 किसान हल्दी की खेती से जुड़े हुए हैं और 32 हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित हो चुकी हैं। 'एक जिला एक उत्पाद' योजना में हल्दी के शामिल होने से इसकी अंतरराष्ट्रीय मांग तेजी से बढ़ी है, जिससे किसानों को बेहतर कीमत और स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं।
यह पहल न केवल कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त कर रही है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी साकार करने की दिशा में बुरहानपुर जैसे छोटे जिले को एक नई उड़ान दे रही है।