सिकलसेल जैसी गंभीर बीमारी को लेकर समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों ने एक नई पहल की है। मंगलवार को कॉलेज के विद्यार्थियों ने जिला अस्पताल से एक रैली निकालकर लोगों को इस बीमारी की पहचान, बचाव और रोकथाम के प्रति सचेत किया। यह रैली मुख्य मार्गों से होती हुई जिला अस्पताल में संपन्न हुई।
दानिश रज़ा खान बुरहानपुर। आदिवासी समुदाय में तेजी से फैल रही सिकलसेल बीमारी को रोकने और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मंगलवार को जिले में एक रैली का आयोजन किया गया। इस अभियान में सैकड़ों विद्यार्थी शामिल हुए, जिन्होंने पोस्टर, बैनर और स्लोगन के माध्यम से सिकलसेल के प्रति लोगों को जागरूक किया।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, सिकलसेल सबसे अधिक आदिवासी समुदाय में पाया जाता है, और इसकी समय पर पहचान न होने से यह पीढ़ी दर पीढ़ी फैलता जाता है। यदि किसी परिवार में दोनों माता-पिता सिकलसेल पीड़ित होते हैं, तो अगली पीढ़ी में यह बीमारी अधिक गंभीर रूप ले सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन अब आदिवासी बहुल इलाकों में व्यापक स्तर पर सिकलसेल की जांच अभियान चला रहा है।
जागरूकता रैली में शामिल छात्रों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि सिकलसेल से बचाव का एकमात्र तरीका समय पर जांच और सही जानकारी है। स्वास्थ्य विभाग अब आदिवासी छात्रावासों और गांवों में जाकर लोगों के सैंपल एकत्र कर जांच कर रहा है। साथ ही, सिकलसेल से पीड़ित लोगों के पहचान पत्र (सिकलसेल कार्ड) बनाए जा रहे हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे विवाह के समय उचित स्वास्थ्य परीक्षण कराएं और बीमारी को आगे फैलने से रोका जा सके।
स्वास्थ्य विभाग और विद्यार्थियों का अपील:
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि समय रहते जांच करवाना और सही जानकारी फैलाना ही इस बीमारी से बचाव का एकमात्र तरीका है। विद्यार्थियों ने भी आमजन से अपील की कि वे जागरूक बनें, नियमित जांच कराएं और सिकलसेल को जड़ से खत्म करने में प्रशासन का सहयोग करें।