google.com, pub-7060990374677024, DIRECT, f08c47fec0942fa0 सरकारी कागजों में जिंदा किसान को मृत घोषित किया, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से वंचित
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सरकारी कागजों में जिंदा किसान को मृत घोषित किया, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से वंचित

 

बुरहानपुर, संवाददाता दानिश रज़ा खान| बुरहानपुर जिले के नेपानगर तहसील के ग्राम डवालीकल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक जिंदा किसान को सरकारी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया। किसान कुल सिंह पिता गोपाल को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 14 किस्तें मिल चुकी थीं, लेकिन अब अगली किस्त नहीं मिल रही है। जब किसान ने तहसील और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क किया, तो उसे बताया गया कि सरकारी रिकॉर्ड में उसे मृत घोषित कर दिया गया है।


प्रशासनिक लापरवाही या जानबूझकर की गई गलती?

यह मामला तब सामने आया जब कुल सिंह ने अपनी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अगली किस्त के भुगतान में देरी को लेकर तहसील कार्यालय में शिकायत की। जांच के दौरान पता चला कि किसान को सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया है, जिसके चलते उसकी योजना की किस्त रोक दी गई। इस चौंकाने वाली लापरवाही ने प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

किसान कुल सिंह, जो अपने खेतों में काम कर रहा है और जीवित है, अब खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहा है। बार-बार की शिकायतों के बावजूद, कोई समाधान नहीं निकला है, और किसान को अभी भी अपनी अगली किस्त का इंतजार है।


किसान संगठन ने उठाई आवाज

मंगलवार को जब यह मामला कलेक्टर कार्यालय पहुंचा, तो अफसर भी हैरान रह गए। प्रगतिशील किसान संगठन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि यह प्रशासनिक लापरवाही का ज्वलंत उदाहरण है। संगठन ने मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।


किसान के हक पर डाका, कौन होगा जिम्मेदार?

सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किसान को पहले से ही कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन जिंदा किसान को मृत घोषित करना प्रशासनिक लापरवाही की चरम सीमा है। सवाल यह उठता है कि आखिर किसान अपने हक के लिए कब तक सरकारी विभागों के चक्कर काटता रहेगा?


क्या मिलेगी न्याय की उम्मीद?

इस मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कैसे सरकारी लापरवाही के चलते आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ती है। अब देखना यह है कि किसान को अपनी सम्मान निधि की अगली किस्त कब मिलेगी और प्रशासनिक गलती के लिए कौन जिम्मेदार ठहराया जाएगा।


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