google.com, pub-7060990374677024, DIRECT, f08c47fec0942fa0 बुरहानपुर में अनोखी गणेश प्रतिमा: केले और पलाश के पत्तों से बनी मूर्ति बनी आकर्षण का केंद्र
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बुरहानपुर में अनोखी गणेश प्रतिमा: केले और पलाश के पत्तों से बनी मूर्ति बनी आकर्षण का केंद्र


दानिश रज़ा खान, बुरहानपुर – महाराष्ट्र की सीमा से सटे बुरहानपुर जिले में गणेश उत्सव की धूम मची हुई है। जिले भर में लगभग 700 से अधिक सार्वजनिक गणेश पंडालों में भगवान गणेश की भव्य और विविध प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। खासकर बुरहानपुर शहर में 300 से अधिक गणेश पंडालों में विभिन्न मुद्राओं में गणेश जी की मूर्तियां देखने को मिल रही हैं। 

इस साल विशेष आकर्षण का केंद्र बनी है नागझिरी घाट स्थित श्रीराम नवयुवक सार्वजनिक गणेश उत्सव समिति द्वारा तैयार की गई ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा। केले, केले के पेड़ के रेशे और पलाश के पत्तों से बनी यह प्रतिमा न केवल अपनी अनोखी संरचना के कारण बल्कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के अपने संदेश के कारण भी जनचर्चा का विषय बन गई है।

केले और पलाश के पत्तों से बनी गणेश प्रतिमा
इस विशेष गणेश मूर्ति के निर्माण के पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है। स्थानीय कलाकार रूपेश प्रजापति और अश्विन नौलखे ने मिलकर महज आठ दिन में इस अनोखी प्रतिमा को आकार दिया है। रूपेश प्रजापति, जो पेशे से बैंक अभिकर्ता हैं, और अश्विन नौलखे, एक एमबीए छात्र, दोनों पेशेवर कलाकार नहीं हैं, लेकिन उनकी रचनात्मकता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता ने उन्हें यह विशेष कृति तैयार करने के लिए प्रेरित किया।

रूपेश प्रजापति बताते हैं, "इस साल हमने हमारे जिले की सबसे अधिक उत्पादित होने वाली केला फसल पर ध्यान केंद्रित किया है। इस बार की मूर्ति में केले, केले के पेड़, केले के फायबर और पलाश के पत्तों का उपयोग कर इसे पूरी तरह *ईको फ्रेंडली* बनाया गया है। हमारा उद्देश्य न केवल जल और वायु प्रदूषण को रोकना था, बल्कि फिजूलखर्ची पर भी अंकुश लगाना था।"

लंबी परंपरा का हिस्सा: 22 साल से गणेश स्थापना, 9 साल से ईको फ्रेंडली मूर्तियां
श्रीराम नवयुवक सार्वजनिक गणेश उत्सव समिति पिछले 22 सालों से गणेश स्थापना की परंपरा को निभा रही है। पिछले 9 साल से समिति लगातार *ईको फ्रेंडली* गणेश प्रतिमाओं की स्थापना कर रही है। रूपेश प्रजापति बताते हैं कि उन्हें इस पहल की प्रेरणा शहर के एक गणेश मंदिर में बर्तन से बनी गणेश जी की मूर्ति देखकर मिली थी। इसके बाद मंडल ने हर साल पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों की स्थापना का निर्णय लिया।

मंडल की उपलब्धियों में बर्तन, मिट्टी, फल-फ्रूट, मसाले, धागे, गन्ने, नदी के पत्थर और सीप, और स्टेशनरी जैसे कागज, पेन, पेंसिल से बनी गणेश प्रतिमाएं शामिल हैं। हर साल एक नई थीम के साथ ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा का निर्माण किया जाता है, जो शहरवासियों और पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बन जाती है।

गणेश उत्सव में विशेष आकर्षण
लगातार नौ वर्षों से इस मंडल द्वारा बनाई जा रही अनोखी गणेश प्रतिमाओं की वजह से शहर में लोग गणेश उत्सव की प्रतीक्षा विशेष उत्साह के साथ करते हैं। जैसे-जैसे गणेश उत्सव नजदीक आता है, लोग इस मंडल के कलाकारों से यह पूछना शुरू कर देते हैं कि इस बार की थीम क्या होगी। कलाकार इसे उत्सव के पहले दिन तक गुप्त रखते हैं, और तभी मूर्ति का प्रदर्शन किया जाता है।

इस साल की अनोखी मूर्ति, केले और पलाश के पत्तों से बनी गणेश प्रतिमा, बुरहानपुर में न सिर्फ कला प्रेमियों के बीच बल्कि पर्यावरण के प्रति जागरूक नागरिकों के बीच भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनी हुई है। लोगों की भीड़ इस अनोखी मूर्ति को देखने के लिए उमड़ रही है, और इसे हर वर्ग के दर्शकों से खूब सराहना मिल रही है। 

बुरहानपुर में गणेश उत्सव इस बार कुछ खास है। केले के रेशे और पलाश के पत्तों से बनी यह ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश भी दे रही है। यह पहल निस्संदेह अन्य शहरों के लिए भी एक प्रेरणा साबित हो रही है।

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