संवाददाता: दानिश रज़ा खान, बुरहानपुर नेपानगर विधानसभा क्षेत्र की पूर्व विधायक सुमित्रा कास्डेकर की परेशानियां बढ़ती नजर आ रही हैं। इंदौर की एमएलए कोर्ट ने उन्हें चुनाव आयोग को गलत जन्म तिथि और शैक्षणिक योग्यता की जानकारी देने के आरोप में नोटिस जारी किया है। अदालत ने कास्डेकर को 27 सितंबर को सुबह 10 बजे कोर्ट में साक्ष्यों के साथ उपस्थित होने के लिए कहा है। हालांकि, खकनार थाना प्रभारी अभिषेक जाधव के अनुसार, उन्हें अभी तक यह नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है।
फोटो कैप्शन: पूर्व विधायक सुमित्रा कास्डेकर, के खिलाफ एमएलए कोर्ट ने का नोटिस |
क्या है मामला?
मामला पूर्व विधायक सुमित्रा कास्डेकर द्वारा चुनाव आयोग को गलत जानकारी देने से जुड़ा है। आरोप है कि 2020 में नेपानगर उपचुनाव के दौरान कास्डेकर ने अपनी जन्म तिथि 15 अगस्त 1983 और शैक्षणिक योग्यता 8वीं पास बताई थी। हालांकि, 2011 में एक गैस एजेंसी के लिए दिए गए शपथ पत्र में उन्होंने अपनी जन्म तिथि 4 मई 1985 और शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास बताई थी।
इस विसंगति को लेकर बालचंद शिंदे नामक व्यक्ति ने स्थानीय न्यायालय में केस दायर किया था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने खकनार थाने को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे, लेकिन कास्डेकर ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया। हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए परिवादी शिंदे को एमएलए कोर्ट में आवेदन करने का सुझाव दिया था।
कास्डेकर के खिलाफ जारी हुआ नोटिस
परिवादी बालचंद शिंदे के वकील जहीर उद्दीन ने बताया कि एमएलए कोर्ट द्वारा जारी नोटिस शनिवार को खकनार थाने में तामील करा दिया गया है। कोर्ट ने कास्डेकर को आदेश दिया है कि वह 27 सितंबर को कोर्ट में हाजिर होकर अपना पक्ष रखें। इस मामले को लेकर कास्डेकर की मुश्किलें बढ़ गई हैं, और उन्हें अब अदालत में अपना बचाव करना होगा।
कांग्रेस छोड़ भाजपा में आई थीं सुमित्रा कास्डेकर
सुमित्रा कास्डेकर पहले कांग्रेस से विधायक थीं, लेकिन 2020 में उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि तत्कालीन कमलनाथ सरकार नेपानगर क्षेत्र के विकास कार्यों में बाधा डाल रही है। इसके बाद उन्होंने भाजपा के टिकट पर नेपानगर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। हालांकि, उनका यह कदम विवादों से भी अछूता नहीं रहा।
कास्डेकर के खिलाफ वर्तमान भाजपा विधायक मंजू दादू ने भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आरोप में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन बाद में यह केस वापस ले लिया गया।
आगे की राह
कास्डेकर के खिलाफ नोटिस जारी होने के बाद अब उनकी अगली रणनीति पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। अगर कोर्ट में उनके खिलाफ आरोप साबित होते हैं तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। यह मामला राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है और कास्डेकर के लिए यह एक बड़ा कानूनी संकट साबित हो सकता है।