बुरहानपुर, दानिश रज़ा खान: वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत बुरहानपुर की एक अदालत ने अजगर का शिकार करने के आरोपी प्रेमसिंह पिता दगडु को तीन साल की सख्त कैद और 500 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। यह फैसला न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, बुरहानपुर के अजय कुमार यदु ने सुनाया। मामले में अभियोजन की ओर से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी सुनील कुरील ने पैरवी की।
घटना 23 मार्च 2019 की है, जब नेपानगर वन परिक्षेत्र में तैनात वन रक्षक हेमंत भौंसले को मुखबिर से सूचना मिली कि फतेहपुर गाँव में एक व्यक्ति के पास अजगर मौजूद है। इस पर भौंसले ने अपनी टीम के साथ फतेहपुर गाँव में छापा मारा और आरोपी प्रेमसिंह के घर की तलाशी ली। तलाशी के दौरान एक ड्रम में जीवित रेड सैंड बोआ अजगर (दो मुंह वाला सांप) पाया गया। पूछताछ में प्रेमसिंह ने बताया कि उसने उक्त सांप को उतावली नदी से पकड़ा था और पिछले एक साल से उसे ड्रम में बंदी बनाकर रखा था।
वन विभाग की टीम ने मौके पर ही अजगर को जप्त कर पंचनामा तैयार किया और अजगर का चिकित्सा परीक्षण कराया। इसके बाद अजगर को जंगल में पुनः छोड़ दिया गया। मामले की जांच के बाद वन चौकी में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया और न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया।
अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि आरोपी प्रेमसिंह ने वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की धारा 9/51(1) का उल्लंघन किया है। अभियोजन की सफल पैरवी के बाद अदालत ने प्रेमसिंह को तीन साल के कारावास और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
इस फैसले से यह स्पष्ट संदेश गया है कि वन्य प्राणियों का शिकार और उन्हें बंदी बनाना कानूनन अपराध है, जिसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है। वन्य प्राणी संरक्षण के लिए यह फैसला एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।