google.com, pub-7060990374677024, DIRECT, f08c47fec0942fa0 मध्य प्रदेश में आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता पर संकट: इंदौर, ग्वालियर और रीवा के कॉलेजों को मिली मंजूरी, बुरहानपुर की मान्यता रोकी गई
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मध्य प्रदेश में आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता पर संकट: इंदौर, ग्वालियर और रीवा के कॉलेजों को मिली मंजूरी, बुरहानपुर की मान्यता रोकी गई


बुरहानपुर, दानिश रज़ा खान: मध्य प्रदेश में आयुर्वेद शिक्षा के क्षेत्र में चुनौतियां बढ़ रही हैं। जहां एक ओर राज्य के इंदौर, ग्वालियर और रीवा के सरकारी आयुर्वेद कॉलेजों को भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (NCISM) से मान्यता मिल गई है, NCISM Burhanpur college approval वहीं बुरहानपुर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज की मान्यता रोक दी गई है। 

बुरहानपुर आयुर्वेदिक कॉलेज पर संकट

बुरहानपुर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में कुल 56 बीएएमएस सीटें हैं, लेकिन मापदंडों के अनुसार यहां फैकल्टी की कमी है, जिसके चलते NCISM ने इसकी मान्यता पर रोक लगा दी है। Burhanpur Ayurveda College recognition यह कॉलेज पहले ही पर्याप्त संसाधनों की कमी से जूझ रहा था, और अब फैकल्टी की कमी ने इसकी मान्यता को खतरे में डाल दिया है। 

बुरहानपुर के इस कॉलेज की स्थिति बेहद चिंताजनक है, क्योंकि कई फैकल्टी सदस्य संचालनालय और मंत्रालय में प्रतिनियुक्ति पर हैं, जिससे शिक्षण स्टाफ की संख्या में कमी आई है। Ayurveda faculty shortage MP अगर इस कमी को जल्द ही पूरा नहीं किया गया, तो कॉलेज की मान्यता पर स्थायी रोक लग सकती है, जिससे छात्रों का भविष्य प्रभावित हो सकता है।


अन्य कॉलेजों की मान्यता पर भी संकट

मध्य प्रदेश के इंदौर, ग्वालियर और रीवा के सरकारी आयुर्वेद कॉलेजों को NCISM से मान्यता मिल गई है, Burhanpur BAMS seats news लेकिन भोपाल, जबलपुर और उज्जैन के आयुर्वेदिक कॉलेजों की मान्यता को लेकर भी जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। Bhopal Jabalpur Ujjain Ayurveda colleges अगर इन कॉलेजों में भी आवश्यक सुधार नहीं किए गए, तो इनकी मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है। 


पात्र फैकल्टी की कमी से हो रही कठिनाई

प्रदेश के आयुष (आयुर्वेद, होम्योपैथी, और यूनानी) कॉलेजों में फैकल्टी की कमी से मान्यता बचाने में मुश्किलें आ रही हैं। MP Ayurveda colleges recognition issue एलाेपैथी मेडिकल कॉलेजों में सीधी भर्ती से फैकल्टी की समस्या का समाधान किया जा रहा है, लेकिन आयुष कॉलेजों में अभी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। इस वजह से पदोन्नति के आधार पर फैकल्टी नियुक्ति में भी परेशानी हो रही है।

आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय का मानना है Rakesh Pandey Ayush Medical Association कि चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरह आयुष कॉलेजों में भी रिक्त पदों को सीधी भर्ती के माध्यम से भरा जाना चाहिए, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में कोई कमी न हो।


मध्य प्रदेश के आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता को बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है। विशेष रूप से बुरहानपुर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की कमी जैसी समस्याओं को सुलझाने के लिए सरकार को तुरंत प्रभावी कदम उठाने होंगे। यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि छात्रों की शिक्षा में कोई बाधा न आए और आयुर्वेद शिक्षा के क्षेत्र में राज्य की प्रतिष्ठा बनी रहे।

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