google.com, pub-7060990374677024, DIRECT, f08c47fec0942fa0 बेरोजगार हुए कोविड योद्धाओं की पुकार: नियुक्ति की मांग पर सरकार से न्याय की उम्मीद
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बेरोजगार हुए कोविड योद्धाओं की पुकार: नियुक्ति की मांग पर सरकार से न्याय की उम्मीद


भोपाल, दानिश रज़ा खान: मध्य प्रदेश में कोविड-19 महामारी के दौरान अस्थायी रूप से नियुक्त किए गए आयुष चिकित्सक, दंत चिकित्सक, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ आज बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। Madhya Pradesh COVID warriors ये सभी स्वास्थ्य कर्मी, जिन्होंने महामारी के समय अपनी जान की परवाह किए बिना जनता की सेवा की, अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और प्रदेश सरकार से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।

महामारी के दौरान महत्वपूर्ण योगदान

कोविड-19 महामारी के चरम पर, जब प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने लगी थी, तब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत अस्थायी रूप से 4,000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। Health workers COVID contribution इन कर्मचारियों ने फीवर क्लिनिक, कोविड केयर सेंटर, आईसीयू, और टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों मे अपना विशेष योगदान दिया।

सेवा समाप्ति के बाद बेरोजगारी का संकट

हालांकि, जैसे ही महामारी का प्रभाव कम हुआ, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने बजट की कमी का हवाला देते हुए इन अस्थायी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दीं। NHM staff dismissal इसके परिणामस्वरूप, प्रदेश के 4,000 से अधिक प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी बेरोजगार हो गए हैं। 

अन्य राज्यों का उदाहरण और प्रदेश सरकार से अपील 

उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और बिहार जैसे राज्यों ने मानवता का परिचय देते हुए अपने कोविड योद्धाओं को संविदा नियुक्ति देकर वापस स्वास्थ्य और अन्य विभागों में समायोजित किया है। मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मचारियों ने भी इसी प्रकार की नियुक्ति की मांग की है और प्रदेश सरकार से अपील की है कि उन्हें भी रोजगार का अवसर दिया जाए।

सरकार से न्याय की आस

कई महीनों से प्रदेश सरकार से न्याय की उम्मीद लगाए बैठे ये स्वास्थ्य कर्मचारी, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपना कर्तव्य निभाया, अब सरकार से केवल एक स्थायी समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। प्रदेश के कई वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों को ज्ञापन सौंपने के बावजूद अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

इन अस्थायी कोविड योद्धाओं का कहना है कि सरकार को उनके अनुभव और योगदान को ध्यान में रखते हुए उन्हें पुनः नियुक्ति देनी चाहिए। अब यह देखना बाकी है कि सरकार उनके लिए क्या कदम उठाती है।

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