google.com, pub-7060990374677024, DIRECT, f08c47fec0942fa0 बुरहानपुर के वकील मनोज अग्रवाल ने लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण को बताया अवैधानिक, निर्वाचन निरस्त करने की मांग
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बुरहानपुर के वकील मनोज अग्रवाल ने लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण को बताया अवैधानिक, निर्वाचन निरस्त करने की मांग



बुरहानपुर (दानिश रज़ा खान): बुरहानपुर के एडवोकेट मनोज अग्रवाल, जो लोकसभा चुनाव 2024 में खंडवा लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार रहे, ने भारत निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार के कानून एवं न्याय मंत्रालय को एक पत्र लिखकर चौथे चरण के 96 सीटों पर हुए चुनाव को अवैधानिक और त्रुटिपूर्ण बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की है। 


चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर आरोप

एडवोकेट मनोज अग्रवाल ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि चौथे चरण के तहत मध्य प्रदेश समेत 10 राज्यों की 96 सीटों पर हुए चुनाव की प्रक्रिया में गंभीर त्रुटियाँ थीं। उन्होंने कहा कि नामांकन प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 25 अप्रैल 2024 थी, जबकि नामांकन पत्र की जांच की अंतिम तिथि 26 अप्रैल 2024 निर्धारित की गई थी, जो कि पूरी तरह से अप्रासंगिक और अवैधानिक है।

अग्रवाल का कहना है कि चुनाव आयोग ने नामांकन की प्रतियाँ न तो वेबसाइट पर प्रदर्शित कीं और न ही दफ्तर के बाहर, जिससे आम जनता को उम्मीदवारों की जानकारी नहीं मिल पाई। जब जनता को जानकारी ही नहीं मिलेगी, तो आपत्ति दर्ज करने का अवसर भी नहीं मिल पाएगा। उन्होंने इस प्रक्रिया को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 36 (2) के खिलाफ बताते हुए इसे सुधारने की मांग की है।


चुनाव निरस्त करने की अपील

अपने पत्र में मनोज अग्रवाल ने चुनाव आयोग से निवेदन किया है कि चौथे चरण के 96 सीटों पर हुए लोकसभा चुनाव को निरस्त किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने आग्रह किया है कि भविष्य में ऐसी त्रुटियों को सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।

उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेने की तैयारी

अगर उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं होती है, तो मनोज अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले को उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह मामला जनहित से जुड़ा है और वह न्याय के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं।

बीजेपी की प्रतिक्रिया

बीजेपी संगठन से जुड़े एडवोकेट आदित्य प्रजापति ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस शिकायत की चुनाव आयोग में समय सीमा खत्म हो चुकी है। अब अगर मनोज अग्रवाल या कोई और इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट जाना चाहते हैं, तो वह इसके लिए स्वतंत्र हैं।

यह मामला अब कानूनी लड़ाई की ओर बढ़ता दिख रहा है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि न्यायालय इस पर क्या निर्णय लेता है।



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