google.com, pub-7060990374677024, DIRECT, f08c47fec0942fa0 जब शाहपुर थाने के थाना प्रभारी हुए भावुक: संवेदनशीलता का अद्वितीय उदाहरण
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जब शाहपुर थाने के थाना प्रभारी हुए भावुक: संवेदनशीलता का अद्वितीय उदाहरण

  


बुरहानपुर। दानिश रज़ा खान : शाहपुर थाने में एक घटना ने पुलिस की संवेदनशीलता का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया, जो हर किसी को भावुक कर गया। घटना 2 जुलाई की है जब महाराष्ट्र की बुलढाना जिले की निवासी श्रीमती अनुपमा गुड़गिला के साथ सनसनीखेज लूट की घटना हुई थी। श्रीमती अनुपमा अपनी खाद बीज की दुकान का सामान लेने बुरहानपुर आईं थीं और रात को करीब 10 बजे वापस अपने गाँव लौटते समय करौली घाट पर दो अज्ञात मोटरसाइकिल सवारों ने उनकी गाड़ी रोककर पिस्तौल की नोक पर सोने की चेन और मंगलसूत्र लूट लिया।


शाहपुर थाना की तत्परता

घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने जब श्रीमती अनुपमा रात 2 बजे शाहपुर थाना पहुंचीं, तो थाना प्रभारी अखिलेश मिश्रा ने न केवल तुरंत रिपोर्ट दर्ज की, बल्कि महिला को सांत्वना देते हुए कहा, "आप हमारी बहन की तरह हो, हम भाई की तरह आपकी मदद करेंगे।"


छह दिनों में आरोपियों की गिरफ्तारी

शाहपुर पुलिस की तत्परता और समर्पण ने महज छह-सात दिनों में ही आरोपियों को महाराष्ट्र से पकड़ लिया और महिला के जेवरात बरामद कर लिए। यह खबर सुनकर श्रीमती अनुपमा बेहद खुश हुईं और थाने पहुंचकर अपनी 75 वर्षीय माँ के साथ थाना प्रभारी अखिलेश मिश्रा का धन्यवाद किया।


थाने में भावुक दृश्य

थाने पर पहुँचते ही श्रीमती अनुपमा ने थाना प्रभारी को शॉल, श्रीफल, और मीठा भेंट किया। उन्होंने शेगाँव वाले गजानन महाराज की पादुका भेंट कर आभार व्यक्त किया। उनकी माँ ने जब थाना प्रभारी को गले लगाकर आशीर्वाद दिया तो अखिलेश मिश्रा भी भावुक हो गए और उन्होंने भी माँ के चरण स्पर्श किए। इस हृदयस्पर्शी वाक़ये ने थाने में उपस्थित सभी लोगों की आँखें नम कर दीं।


पुलिस का संवेदनशील रूप

सामान्य रूप से अपने रूखे व्यवहार के लिए पहचाने जाने वाली पुलिस का यह संवेदनशील रूप निश्चित तौर पर अनुकरणीय है। श्रीमती अनुपमा शाहपुर पुलिस की तारीफ़ करते नहीं थक रहीं थीं। उन्होंने कहा, "TI अखिलेश मिश्रा आज से मेरे लिए पुलिस अधिकारी नहीं, बल्कि हमेशा के लिए भाई बन गए हैं।"


भविष्य का आमंत्रण

उन्होंने श्री मिश्रा को सपरिवार घर आने का निमंत्रण भी दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार करते हुए कहा कि जब भी समय मिलेगा वे बहन के हाथ का भोजन करने अवश्य आएँगे।


संवेदना का जज़्बा

यह घटना बताती है कि संवेदना का जज़्बा सबके भीतर होता है और सही अवसर पर वह व्यक्त भी होता है। शाहपुर थाने का यह वाकया हर किसी के दिल को छू गया और यह दर्शाता है कि पुलिस के भीतर भी एक संवेदनशील हृदय धड़कता है।


इस घटना ने न केवल शाहपुर पुलिस की छवि को संवेदनशीलता और मानवीयता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है, बल्कि यह साबित किया है कि सही नीयत और तत्परता से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।

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