3 दिसम्बर 1992 अयोध्या
अब तक एक लाख से अभी अधिक कारसेवक अयोध्या पहुच चुके थे , अन्होनी कि आहात दिल्ली भी सुन रही थी और लखनव भी. उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से वादा किया था कि वो हर हल में बाबरी मस्जिद को बचाएगे , लेकिन अयोध्या में तो कुछ और ही चल रहा था ,इधर BJP के नेता कुछ और ही बात सुना राहे थे (वीडियो)
4 दिसंबर 1992 अयोध्या
अबतक VHP शिव सेना और बजरंग दल के 2 लाख से अभी ज्यादा कारसेवको सरयो के तथ पर जमा हो चुके थे, बताया गया कि उनका मकसद सरयो से एक एक मुठ्टी बालू लाकर विवादिक ढाचे के पास के गद्दे को भरना था, लेकिन कारसेवको के इरादे को इस नारे ने ज़ाहिर करदिया (वीडियो)
5 दिसंबर 1992 अयोध्या
5 दिसंबर कि शाम तक यह बात तय हो चुकी थी इस बार कारसेवको के इरादे खतरनाक है, पत्रकार भी उनके निशाने पर थे खास कार कमरामेन और फोटो ग्राफर , RSS,VHP और बजरंगदल के सीनियर नेताओ ने दबी जुबान में कह दिया था कि, बाबरी मस्जिद का गिरना तय है (वीडियो) और फिर वो दिन आही गया
6 दिसंबर 1992 अयोध्या (सुबह 6 बजे)
कारसेवको कि भीर कार सेवा के बहाने विवादिक ढांचे के आस पास जमा होने लगे, मोके पर पुलिस प्रशासन और पत्रकारों का हुजूम था ,सुरक्षा के लिए ढांचे के आस पास सुरक्षा एजंसीया भी तेनाद थी ,और यही पर संघ के सव्म्सेवाको ने घेरा बना रखा था (वीडियो)
6 दिसंबर 1992 अयोध्या सुबह 7 बजे (प्रधानमंत्री निवास, नई दिल्ली)
प्रधानमंत्री निवास पूरी तरह ख़ामोशी में डूबा हुआ था, 5 दिसंबर देररात अयोध्या के ताज़ा हालत लेने के बाद प्रधानमंत्री नर्सिमरव 6 दिसंबर 1992 को सुबह 7 बजे सोकर उठे थे, उठ्ठे ही उन्होंने सब से पहले अयोध्या कि जानकारी ली उन्हें बताया गया कि करीब 2 लाख 25 हज़ार कारसेवक बाबरी मस्जिद के पास पूजा करने जमा हो चुके है, खबर सुन्नते ही नर्सिमरव थोडा परशान हुए, फिर रोज़ कि तरह त्रेब्मिल पर वोक करने लगे,लेकिन उनकी निगाए पूरी तरह अयोध्या पर ही थी, PMO स्टाफ उन्हें पल पल कि जानकारी दे रहा था
6 दिसंबर 1992 सुबह 07:30 बजे (4 कालिदास मार्ग,मुख्यमंत्री निवास, लखनव)
मुख्यमंत्री कल्याण सिंह सुबह जल्दी उठ चुके थे सुचना निर्देशक अनिल सरूप रोज़ कि तरह मुख्यमंत्री निवास पहुचे उनका काम था कि वो अखबारों में छपी खबरों के बारे में मुख्यमंत्री को जानकारी देना, अनिल सोरूप जब वहा पहुचे थो तब कल्याण सिंह गेस्टहाउस में बेठे थे (बेहद तनाव में) ब कोल अनिल सोरूप सुबह उठने के बाद कल्याण सिंह ने अयोध्या में मोजूद लाल कृष्णा आदवनी से फ़ोन पर बात कर बाकायदा वहा के हालत जाने, इस के बाद वहा के DM और पुलिस के आला अधिकारीयों से बात कि उन्हें बताया गया कि यहाँ पर हालत कंट्रोल में है
6 दिसंबर 1992 सुबह 10 बजे अयोध्या
BJP और विश्व हिन्दू परिषद के नेता सुबह 10 बजे मोके पर पहुचने लगे, BJP के राष्टीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और लाल कृष्णा आदवनी भी कार सेवा कि तय्यारी देखने पहुच चुके थे
6 दिसंबर 1992 सुबह 10 बजे 4 कालिदास मार्ग ,मुख्यमंत्री निवास लखनव
मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अब भी अयोध्या के ताज़ा हालत वहा के आला अफसरों से ले रहे थे, तब दुदर्शन के अलावा कोई दूसरा चेंनल नहीं था जिस से लाइव उपडेट ले सके, और मोबाईल भी अस्तित्व में नहीं था, जानकारी के लिए सिर्फ लेनलाइन और तेली प्रिंटर ही थे मुख्यमंत्री निवास के फोन कि घंटी हर थोड़ी देर में बज रही थी वेवादिक इस्थल से DM लगातार ताज़ा हालत मुख्यमंत्री निवास तक पहुचा रहे थे
6 दिसंबर 1992 सुबह 10:30 बजे अयोध्या
10:30 बजते बजते ही ताम कथा के मंच पर नेताओ का हुजूम लग चूका था यह मंच वेवादिक ढांचे से महज़ 200 गज कि दुरी पर था जो कार सेवा के लिए तय कि गई थी. यहा पर संतो और नेताओ को पूजा करना थी मगर इधर कार सेवक बेताब होने लगे थे. लेकिन शासन प्रशासन के अधिकारी किसी भी अनहोनी को हसी में उड़ा रहे थे
6 दिसंबर 1992 सुबह 11:43 बजे अयोध्या
लाल कृष्णा आडवानी. मुरली मनोहर जोशी. आशोक सिंग्हम. विजय कट्यार. उमा भारतीय और कई नेता वेवादिक इस्थल के पास पहुच गए. देश भर से आए कारसेवक जोश और जूनून में नारे लगा रहे थे. करीब 11:43 बजे 3 कारसेवको को एक गुम्बद पर चदता हुआ देखा गया. उनको देखा दाखी भीड़ भी बेकाबू होने लगी और देखते ही देखते सुरक्षा घेरे को भी तोड़ दिया गया
6 दिसंबर 1992 दोपहर 12:00 बजे प्रधानमंत्री निवास. नई दिल्ली
अयोध्या से दूर दिल्ली में भी हल चल तेज़ थी. अयोध्या से आरही खबर ने दिल्ली को भी बेचेन करने लगी थी. दोपहर होते होते दिसंबर की सर्दी में भी तपिश महसूस होने लगी थी. अयोध्या से पहली बुरी खबर आई करीब 12:00 बजे प्रधानमंत्री कार्यलय पहुची
6 दिसंबर 1992 दोपहर 12:05 बजे अयोध्या
कारसेवको का हुजूम अब तक बाबरी मस्जिद के तीनो गुम्बदो पर चढ़ चूका था. इस दोरान वेवादिक ढांचे के पच्छिम कि तरफ एक ईमारत पर खड़े UP के आला अफसर खड़े खड़े देख रहे थे
6 दिसंबर 1992 दोपहर 12:15 बजे अयोध्या
10 मिनिट बित्ते बित्ते कारसेवको के हातो में हतोड़े.कुराड़ी.और नोकीले हत्यार दिखाई देने लगे कोई नहीं जानता था कि यह सब उनके पास कहा से आया देखते ही देखते तीनो गुम्बदो पर हतोड़े चलने लगे. तस्वीरें ले रहे पत्रकारों को पिटे जाने लगा उनके कमरों को तोड़े जाने लगे
6 दिसंबर 1992 दोपहर 12:30 बजे 4 कालिदास मार्ग मुख्यमंत्री निवास, लखनव
मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अपने 2 मंत्रियो के साथ बेठे थे पहले गुम्बद को दहाने कि खबर लखनव पहुच चुकी थी कल्याण सिंह के प्रधान सचिव योगेन्द्र महेंद्र मुताबिक उसी वक्त UP पुलिस के महा निर्देशक SM त्रिपाठी भागते हुए आए और उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने कि इजाज़त मांगी मगर कल्याण सिंह ने उन्हें इंतज़ार करने को कहा. SM त्रिपाठी कारसेवको को कंट्रोल करने के लिए गोली चलाने कि इजाज़त मांगने आए थे मगर कल्याण सिंह ने उन्हें इजाजत देने से मना कर दिया
6 दिसंबर 1992 दोपहर 01:55 बजे अयोध्या
अब तक बाबरी मस्जिद पर उमड़ी भीड़ ने एक गुम्बद को दहा दिया था गुम्बद के गिरने कि वजह से मलवे में दबने से लगभग 25 कारसेवक घायल होगाए थे जिनको फ़ौरन अस्पताल पहुचाया गया
6 दिसंबर 1992 दोपहर 03:30 बजे अयोध्या
कुछ नेताओ के मुह से एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो इसे नारों के बिच कार सेवको ने 03:30 बजे तक दूसरा गुम्बद भी ज़मीन दोस कर दिया था अब मुख्य गुम्बद ही बचा था हमला उसपर भी जरी था उधर अयोध्या में दंगे शुरू होगए थे
6 दिसंबर 1992 शाम 04:49 बजे अयोध्या
कारसेवको कि भीड़ ने मुख्य गुम्बद को निचे से तोडना चालू कर दिया था. उस पर तब तक वार किए गए. जब तक वह पूरी तरह गिर नहीं गया. शाम 5 बजते बजते मुख्य गुम्बद भी निचे आई चूका था
6 दिसंबर 1992 शाम 05:00 बजे प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली
उधर बाबरी मस्जिद को गिराया जाता है और इधर खबर दिल्ली पहुचती है तब तक कई राज्यो से भी तनाव कि खबरे आनी शुरू हो चुकी थी प्रधानमंत्री नर्सिमा राव खबर सुनते ही बेहद परेशान थे. कहते है कि उनका BP बड़ रहा था. चेहरा भी लाल हो रहा था लिहाज़ा उनके डॉ ने उनको एह्तेहत्न दवाई दी. जिसके बाद वह मंदिर में पूजा करने चले गए
6 दिसंबर 1992 शाम 06:15 बजे 4 कालिदास मार्ग लखनव
मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को UP में राष्टपति शासन लगने कि खबर मिल चुकी थी. जिसके बाद वह सुचना निर्देशक अनिल सोरूप को एक पेपर पर राजपाल के नाम बहुत ही संषेप शब्दों में इस्तीफा लिखने को कहते है