दोनो दलों के कार्यकर्ताओं ने की जिलाध्यक्षों को लोकसभा चुनाव से पहले बदलने की मांग
बुरहानपुर (दानिश रज़ा खान) बुरहानपुर में कांग्रेस बीजेपी दोनों प्रमुख दलों के मजबूत बागियों के चुनाव मैदान में उतर जाने से यहां चतुष्कोणिय मुकाबला हुआ बीजेपी कांग्रेस दोनों ही दलों के कार्यकर्ता बगावत के लिए अपने अपने जिलाध्यक्षों को जिम्मेदार ठहराते हुए परिवर्तन करने की मांग कर रहे है कांग्रेस बीजेपी दोनो दलों ने परिणाम से पहले बगावत के बहाने हार मान ली है सियासी जानकारों का भी मानना है बगावत के लिए दोनो दलों के जिलाध्यक्ष कुछ हद तक जिम्मेदार है आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए संगठनों ने जिलाध्य़क्षों को नसीहत देना चाहिए
विधानसभा चुनाव में निमाड की बुरहानपुर सीट पूरे प्रदेश में हॉट सीट बन गई थी इस सीट पर कांग्रेस के साथ साथ पहली बार बीजेपी से भी बागी प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष स्वर्गीय नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान के मैदान में उतर जाने से बीजेपी की मुश्किले बढ गई थी
दरअसल बीजेपी के ज्यादातर कार्यकर्ता पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस को प्रत्याशी बनाने से नाराज थे सभी नाराज कार्यकर्ताओं ने बागी हर्षवर्धन सिंह चौहान का खुल कर समर्थन किया कमोबेश कांग्रेस में भी यह ही हाल रहा कांग्रेस में अल्पसंख्यक को टिकट दिए जाने की मांग की बीच कांग्रेस व्दारा दोबारा निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा को प्रत्याशी बनाए जाने से कांग्रेस के संगठन मंत्री रहे पूर्व पार्षद नफीस मंशा खान ने एमआईएम का दामन थाम कर प्रत्याशी बनकर चुनाव मैदान में उतर कर कांग्रेस का सिरदर्द बढाया कांग्रेस बीजेपी दोनों ही दल चुनाव परिणाम के पहले अपनी हार मान कर बगावत के लिए अपने अपने जिलाध्यक्षों पर इसका ठीकरा फोड रहे है और जिलाध्यक्षों को बदलने की मांग कर रहे है
उधर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के जिलाध्यक्ष खूद को काफी सक्रीय बता रहे है दोनों का दावा है उन्होने बगावत ना हो इसको लेकर सारे प्रयास किए थे बगावत के बीच दोनों ही पार्टी के जिलाध्यक्ष अपने अपने प्रत्याशियों के जीतने के दावे कर रहे है
इस बीच सियासी जानकार भी सेवा सदन कॉलेज राजनीति शास्त्र विभाग के प्रमुख डॉ संदीप पगारे भी कांग्रेस बीजेपी के कार्यकर्ताओं का समर्थन करते हुए कह रहे है बगावत के लिए दोनो दलों के जिलाध्यक्ष कही ना कही जिम्मेदार है लेकिन दोनों जिलाध्यक्षों को हटाने के बजाए जानकार उन्हें लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश संगठनों व्दारा नसीहत देने की सलाह दे रहे है